वन्दे मातरम्!
जो पैर राष्ट्र हित में कदम ने बढ़ा सके, उसका होना धिक्कार है,
पर राष्ट्रविरोध में जो बढ़े, फिर तो काट देना उचित है|
जो हाथ राष्ट्र हित में योगदान न दे सके, उसका होना धिक्कार है,
पर राष्ट्रविरोध में जो उठे, फिर तो काट देना उचित है|
जो आँख राष्ट्र सम्मान में न झुक सके, उसका होना धिक्कार है,
पर राष्ट्र अपमान जो उठे, फिर तो फोड़ देना उचित है|
जो कान राष्ट्र गुणगान न सुन सके, उसका होना धिक्कार है,
पर राष्ट्र निंदा जो सुन सके, फिर तो काट देना उचित है|
जो जीभ राष्ट्र गौरव न कह सके, उसका होना धिक्कार है,
पर राष्ट्रविरोध में बात जो कह सके, फिर तो काट देना उचित है|
जो मस्तक राष्ट्रहित न सोच सके, उसका होना धिक्कार है,
पर राष्ट्र विरोधी विचार जो उपजे, फिर तो काट देना उचित है|
जिस धड़ के हृदय में राष्ट्रप्रेम न उठे, उसका होना धिक्कार है,
पर राष्ट्रविरोध जिसमे धड़के, फिर तो टुकड़ों में बांट देना उचित है|
-राम कुमार 'दीपक'
Bahot achha bhai.
ReplyDeleteBehtareen likhe ho