'माँ' बहुत छोटा सा एक शब्द है,
जिसमें सम्पूर्ण सृष्टि उपलब्ध है।
'माँ' परिपूर्णता की परिभाषा है,
सृष्टि के सजीवता की आशा है।
'माँ' जीवन का सृजनहार है,
यह ही उत्पत्ति का आधार है।
'माँ' जननी संग पालक भी है,
यह रक्षक और संचालक भी है।
'माँ' जीवन में नाशकर्ता भी है,
हर कष्ट नाश की क्षमता भी है।
'माँ' स्वयं ब्रह्मा, विष्णु, महेश है,
त्रिदेव का एक शब्द में निवेश है।
'माँ' ईश्वर से भी बड़ी शक्ति है,
इसकी वंदना ही श्रेष्ठ भक्ति है।
'माँ' सर्वश्रेष्ठ कल्याणकारी मन्त्र है,
यह शब्द महावाक्य है, महामंत्र है।
great Ram... Very nice :-)
ReplyDeleteधन्यवाद आकाश!
Deleteयह आश्चर्य का विषय ही है की आज भी हमारे बीच ऐसे नवजवान है जों अंग्रेजी को सर में न चढ़ाकर साहित्य सेवा कर रहे हैं वो भी हिंदी में , राम भैया सच है की माँ अपने में एक सुम्पूर्ण शब्द है और वेदना,ममत्व,प्यार,डांट,मार, यह सब इसके पूरक हैं
ReplyDeleteसुयश, बहुत बहुत धन्यवाद|
Deleteबहुत से साहित्य प्रेमी हैं, और आप भी उनमे से एक हैं...
अंग्रेजी अपने जगह है, परन्तु मातृभाषा का जो आनंद है वो किसी और भाषा में नहीं..
बिल्कुल माँ स्वयं में पूरक है| बस इसी को लिखने का साधारण सा प्रयास रहा हमारा|
really very nice
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