खुली आँखों में, तुने जो संजोया सपना,
अब जीवन का, उसे बना ले लक्ष्य अपना,
बन जा मुसाफिर, त्याग सर्वस्व अपना,
क्योंकि तुझे तो चलना ही है हर हाल में|
उठ जाग हो तैयार, बहुत सो लिया अब,
जीवन के लक्ष्य की राह, पकड़ना है अब,
मोह-प्रेम न हो बाधाएं, त्याग कर ये सब,
क्योंकि तुझे तो चलना ही है हर हाल में|
चल दे अनजाने राह पर, मुसाफिर बन के,
आयेंगे राहों में संकट, घोर अंधकार बन के,
डर नहीं अँधेरे से, जला ले दीपक मन के,
क्योंकि तुझे तो चलना ही है हर हाल में|
असफलताओं के काले बादल, जब छाएंगे,
कह देना आँखों से, वो पानी न बरसाएंगे,
न खोना हौसला, कदम तेरे जब लड़खड़ायेंगे,
क्योंकि तुझे तो चलना ही है हर हाल में|
राह में धन-वैभव, ऐश्वर्य के चक्कर न पड़ना,
लोभ और माया के जाल में, कभी न फंसना,
ध्यान लक्ष्य का सदा रखना, राह में न ठहरना,
क्योंकि तुझे तो चलना ही है हर हाल में|
रंग रूप भी राहों में, राही को रिझाने आते हैं,
सुंदरता से भ्रमित कर, लक्ष्य बिसराने आते हैं,
पल भर भी बिसर नहीं, ये तो भ्रम के नाते हैं,
क्योंकि तुझे तो चलना ही है हर हाल में|
मोह लोभ की कठिन परिक्षाओं से, निकलकर,
अब आ गया युद्धभूमि, सब संकटों से लड़कर,
कठिनाई से न डर, बढ़ आगे भयमुक्त बनकर,
क्योंकि तुझे तो चलना ही है हर हाल में|
हो जाएगा प्रभु खुश, देख तेरे मन का विश्वास,
साहस को नमन कर, करेगा पूरी वो तेरी हर आस,
सफलता तो खुद आएगी पिया-मिलन को तेरे पास,
क्योंकि तू ही तो है जो चल के आया है हर हाल में|
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