नन्ही आँखे खोली जब इस दुनिया में,
जन्मा जिसकी कोख से इस संसार में, वो है ‘माँ’
जन्मा जिसकी कोख से इस संसार में, वो है ‘माँ’
बचपन बीता खेल-कूद और विनोद में,
ये सुनहरे पल बिताए जिसकी गोद में, वो है ‘माँ’
ये सुनहरे पल बिताए जिसकी गोद में, वो है ‘माँ’
सहम गया डर से जब इस दुनिया में,
मिली सुरक्षा तब जिसकी ममता के आँचल में, वो है ‘माँ’
मिली सुरक्षा तब जिसकी ममता के आँचल में, वो है ‘माँ’
निकल पड़ा कठिन डगर पे लक्ष्य पाने को,
जिसकी दुआ-प्रेम से मिला हौसला आगे जाने को, वो है ‘माँ’
जिसकी दुआ-प्रेम से मिला हौसला आगे जाने को, वो है ‘माँ’
जब पड़ा अकेला दुनिया के ठुकराने पर,
तब मिला सहारा जिसके शरण में जाने पर, वो है ‘माँ’
तब मिला सहारा जिसके शरण में जाने पर, वो है ‘माँ’
असमंजसता में जब मेरा दिल घबराया,
तब बार-बार जो नाम दिल ने बुलाया, वो है ‘माँ’
तब बार-बार जो नाम दिल ने बुलाया, वो है ‘माँ’
न नाराज होना हे प्रभु मुझसे,
क्योंकि जो नाम लेता हूँ पहले तुझसे, वो है ‘माँ’
तू हो कहीं भी मंदिर, मस्जिद, या मूरत में,क्योंकि जो नाम लेता हूँ पहले तुझसे, वो है ‘माँ’
मैंने तो तुझे पाया बस एक ही सूरत में, वो है ‘माँ’