चच्चा! आज लगता है गाँव में आ रहे हैं बाराती,
लेकर छतरी, लेकर भोंपू निकले मेढक बरसाती,
बच्चा! ये उछलने वाले नहीं, उछालने वालें हैं,
यही तो 'मीडिया-निष्पक्ष पक्षपाती' कहलाने वालें हैं|
चच्चा! क्यों आयें हैं ये लोग ऐसे काफिला जमा के,
दर्शन करेंगे क्या किसी का जो आया दूर से कमा के,
बच्चा! ये दर्शन करने वाले नहीं, करवाने वालें हैं,
दुनिया को दिखला कर टी.आर.पी. बढ़ाने वालें हैं|
चच्चा! सुना है ये जनता की आवाज़ उठाते हैं,
जन-जन को सारी दुनिया का ये हाल बताते हैं,
बच्चा! ये हाल नहीं, डर दिखलाने वालें हैं,
जनता की आवाज में ही जनता भड़काने वालें हैं|
देखो! दंगो में मरने वाला तो होता इंसान है,
मगर ये निष्पक्षी बताते वो हिन्दू व मुसलमान है,
बच्चा! ये समाचार नहीं, बैरभाव फैलाने वालें हैं,
दंगो की ज्वाला में सबसे ज्यादे घी देने वालें हैं|
भड़काना ही नहीं और भी हैं गजब इनके काम,
अपराधी-देशद्रोही की आँखें हैं इनका दूसरा नाम,
बच्चा! ये रक्षक नहीं, भक्षक को सूचित करने वालें हैं,
सुरक्षा की गुप्त नीति आतंकी को बतलाने वालें हैं|
मीडिया की निष्पक्षता की तो बात ही निराली है,
गरीब जिसकी पहुँच नहीं, उसकी बात तो इनको गाली है,
बच्चा! ये बात नहीं, पैसों पर बिकने वालें हैं,
यही तो हैं जो पहुंचे हुए चोर को साधू बतलाने वालें हैं|
खबरों में इनकी फ़िल्मी सितारों की चमक है,
क्रिकेटर और उनके रन हजारों की दमक है,
बच्चा! ये पक्षपात नहीं, निष्पक्षता दिखलाने वालें हैं,
जलती बस्ती छोड़, नेता-अभिनेता दिखलाने वालें हैं|
कहीं किसी बहन-बेटी की अस्मत पर आंच आ आती है,
तो नीच मीडिया उसकी आबरू टुकड़ों में बेंचने जाती है,
बच्चा! ये हमदर्द नहीं, कायरता दिखलाने वालें हैं,
दरिंदे का पता हो न हो, शोषिता की आबरू नीलाम करने वालें हैं|
बाला को तो कर दिया बदनाम कहके 'मकड़ी मेम',
और ये कभी बोलेंगे नहीं ग्राहक बने अपने बापों के नेम,
बच्चा! ये बेख़ौफ़ नहीं, कायरता दिखलाने वालें हैं,
सत्ता और भत्ता के रूख पर खबर की कहानी बनाने वालें हैं|
चच्चा! फिर ये निष्पक्ष पक्षपाती क्या लेने आये हम वासिंदों से,
लूटने गाँव की इज्ज़त या फिर लड़वाने मुसलमानों को हिंदो से,
बच्चा! ये मामला नहीं, मसाला लेने वालें हैं,
सत्तालोभी दरिंदो से सौहार्द-प्रेम का सौदा करने वालें हैं|
लेकर छतरी, लेकर भोंपू निकले मेढक बरसाती,
बच्चा! ये उछलने वाले नहीं, उछालने वालें हैं,
यही तो 'मीडिया-निष्पक्ष पक्षपाती' कहलाने वालें हैं|
चच्चा! क्यों आयें हैं ये लोग ऐसे काफिला जमा के,
दर्शन करेंगे क्या किसी का जो आया दूर से कमा के,
बच्चा! ये दर्शन करने वाले नहीं, करवाने वालें हैं,
दुनिया को दिखला कर टी.आर.पी. बढ़ाने वालें हैं|
चच्चा! सुना है ये जनता की आवाज़ उठाते हैं,
जन-जन को सारी दुनिया का ये हाल बताते हैं,
बच्चा! ये हाल नहीं, डर दिखलाने वालें हैं,
जनता की आवाज में ही जनता भड़काने वालें हैं|
देखो! दंगो में मरने वाला तो होता इंसान है,
मगर ये निष्पक्षी बताते वो हिन्दू व मुसलमान है,
बच्चा! ये समाचार नहीं, बैरभाव फैलाने वालें हैं,
दंगो की ज्वाला में सबसे ज्यादे घी देने वालें हैं|
भड़काना ही नहीं और भी हैं गजब इनके काम,
अपराधी-देशद्रोही की आँखें हैं इनका दूसरा नाम,
बच्चा! ये रक्षक नहीं, भक्षक को सूचित करने वालें हैं,
सुरक्षा की गुप्त नीति आतंकी को बतलाने वालें हैं|
मीडिया की निष्पक्षता की तो बात ही निराली है,
गरीब जिसकी पहुँच नहीं, उसकी बात तो इनको गाली है,
बच्चा! ये बात नहीं, पैसों पर बिकने वालें हैं,
यही तो हैं जो पहुंचे हुए चोर को साधू बतलाने वालें हैं|
खबरों में इनकी फ़िल्मी सितारों की चमक है,
क्रिकेटर और उनके रन हजारों की दमक है,
बच्चा! ये पक्षपात नहीं, निष्पक्षता दिखलाने वालें हैं,
जलती बस्ती छोड़, नेता-अभिनेता दिखलाने वालें हैं|
कहीं किसी बहन-बेटी की अस्मत पर आंच आ आती है,
तो नीच मीडिया उसकी आबरू टुकड़ों में बेंचने जाती है,
बच्चा! ये हमदर्द नहीं, कायरता दिखलाने वालें हैं,
दरिंदे का पता हो न हो, शोषिता की आबरू नीलाम करने वालें हैं|
बाला को तो कर दिया बदनाम कहके 'मकड़ी मेम',
और ये कभी बोलेंगे नहीं ग्राहक बने अपने बापों के नेम,
बच्चा! ये बेख़ौफ़ नहीं, कायरता दिखलाने वालें हैं,
सत्ता और भत्ता के रूख पर खबर की कहानी बनाने वालें हैं|
चच्चा! फिर ये निष्पक्ष पक्षपाती क्या लेने आये हम वासिंदों से,
लूटने गाँव की इज्ज़त या फिर लड़वाने मुसलमानों को हिंदो से,
बच्चा! ये मामला नहीं, मसाला लेने वालें हैं,
सत्तालोभी दरिंदो से सौहार्द-प्रेम का सौदा करने वालें हैं|